ईटानगर: देश का पहला “मेड इन इंडिया” वाणिज्यिक विमान आज से उड़ान भरना शुरू कर देगा और अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज के कस्बों तक हवाई संपर्क प्रदान करेगा. भारतीय उड्डयन के लिए यह ऐतिहासिक दिन है. इससे देश के बाकी हिस्सों के साथ उत्तर पूर्वी क्षेत्र में हवाई संपर्क को और बढ़ावा मिलेगा. पहली बार “मेड इन इंडिया” 17 सीटर डोर्नियर विमान के जरिये अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाके के पांच कस्बों को असम के डिब्रूगढ़ से जोड़ा जाएगा. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में हवाई संपर्क को बढ़ावा देने और जरूरत पड़ने पर हवाई संपर्क के लिए बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए योजना को मंजूरी दी है.
इस योजना के एक हिस्से के रूप में आज दो महत्वपूर्ण चरण होने हैं. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की उड़ान के तहत मेड इन इंडिया डोर्नियर 228 असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट के लिए उड़ान भरेगा. इसका संचालन एलायंस एयर करेगी. यह भारत की पहली वाणिज्यिक एयरलाइन है जो नागरिक संचालन के लिए भारत में निर्मित विमान उड़ाएगी. साथ ही असम के लीलाबारी में उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए पहले एफटीओ (उड़ान प्रशिक्षण संगठन) का उद्घाटन किया जाएगा
दोनों कार्यक्रमों में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू भी मौजूद रहेंगे.
एचएएल के सूत्रों के अनुसार, एसी केबिन के साथ 17-सीटर नॉन-प्रेशराइज्ड डोर्नियर 228 का दिन और रात में संचालन किया जा सकता है. यह हल्का परिवहन विमान है, जो पूर्वोत्तर के राज्यों में क्षेत्रीय संपर्क की सुविधा प्रदान करेगा.
इन दोनों विमानों को पिछले गुरुवार को एलायंस एयर को सौंप दिया गया था और एक को डिब्रूगढ़ हवाई अड्डे पर स्थानांतरित कर दिया गया है, जो एलायंस एयर का सबसे नया केंद्र है. इन विमानों का इस्तेमाल पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के सुदूर इलाकों में हवाई संपर्क मुहैया कराने के लिए किया जाएगा, जिसमें चीन और म्यांमार सीमा के करीब के कुछ इलाके भी शामिल हैं.
एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय वायु सेना द्वारा बनाए गए एडवांस लैंडिंग ग्राउंड का इस्तेमाल लैंडिंग के लिए किया जाएगा. एलायंस एयर के विमान शुरुआत में डिब्रूगढ़ से पासीघाट के लिए और अगले 15 से 20 दिनों में यह अरुणाचल प्रदेश के तेजू और जीरो के लिए उड़ान भरेगें. यह सब पहले चरण में होगा. नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि दूसरे चरण में विजयनगर, मेचुका, अलोंग और अन्य स्थानों को जोड़ा जाएगा.
अधिकारियों ने कहा कि पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के इन सभी स्थानों को असम के डिब्रूगढ़ और लीलाबारी के निकटतम हवाई अड्डों तक पहुंचने के लिए एक से पांच दिनों की यात्रा करने की जरूरत होती है.
उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) का विकास न केवल सामरिक महत्व रखता है बल्कि भारत की विकास की कहानी का भी एक हिस्सा है. उत्तर पूर्वी क्षेत्र में कनेक्टिविटी बहुत आवश्यक है और क्षेत्रीय संपर्क योजना “उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान)” के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने पूर्वोत्तर को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में पहचाना है. इससे पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी बढ़ाने में मदद मिली है